पराली जलाने पर रोक के लिए एक-एक गांव पर रखी जाएगी नजर : मुख्य सचिव

हरियाणा की मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने वीडियो कॉन्फ्रेंस से फसल अवशेष प्रबंधन योजना की समीक्षा की
हिसार, 3 सितंबर।
हरियाणा की मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने कहा कि फसल अवशेषों को आग लगाने की घटनाओं पर प्रतिबंध के लिए एक-एक गांव पर नजर रखी जाएगी। फसल अवशेषों के प्रबंधों के लिए सरकार द्वारा कस्टम हायरिंग सेंटर के माध्यम से तथा व्यक्तिगत रूप से किसानों को अनुदान पर कृषि उपकरण उपलब्ध करवाए गए हैं और अन्य माध्यमों से भी उनकी मदद की जा रही है। समझाने व मदद के बावजूद जो किसान अवशेषों को आग लगाने की कोशिश करेंगे उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने यह बात आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सभी जिलों के उपायुक्तों व कृषि विभाग के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कही। वीडियो कॉन्फ्रेंस में कस्टम हायरिंग सेंटर के संचालक व प्रगतिशील किसान भी उपस्थित थे। मुख्य सचिव ने फसल अवशेष प्रबंधन के लिए सभी अधिकारियों को व्यापक दिशा-निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन की दिशा में पिछले वर्ष हरियाणा में अच्छा कार्य हुआ था। हरसैक के उपग्रही चित्रों व रिपोर्ट के अनुसार पूर्व के वर्षों के मुकाबले गत वर्ष फसल अवशेषों में आग लगाने की घटनाओं में 68 प्रतिशत की कमी आई थी। उन्होंने कहा कि इस बार हमें इससे भी आगे बढक़र जीरो बर्निंग के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में कार्य करना है।
उन्होंने कहा कि फसल अवशेषों में आग लगाने से मृदा का तापमान व वातावरण में कार्बन-डाई-ऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है जिससे जमीन की उपजाऊ शक्ति कम होती है। पर्यावरण में धुआं बढऩे से फेफड़ों की क्षमता प्रभावित होती है और कोरोना के समय में फेेफड़ों पर आने वाला दबाव जानलेवा हो सकता है। इस संबंध में किसानों व ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए जागरूक किया जाए। ग्राम सभाएं आयोजित करवाकर इनमें अवशेष न जलाने के प्रस्ताव पारित करवाए जाएं।
मुख्य सचिव ने कहा कि पराली जलाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) बहुत गंभीर है और इन उच्च संस्थाओं तथा आमजन के प्रति हमारी जवाबदेही के चलते हमें ऐसे किसानों के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ेगी जो पराली जलाने से बाज नहीं आते। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ग्राम पंचायतों के अधीन 851 सीएचसी (कस्टम हायरिंग सेंटर) स्थापित हैं। पंचायतें इनमें उपलब्ध उपकरण व कृषि यंत्र किसानों को देकर फसल अवशेष प्रबंधन में उनकी मदद करें। उन्होंने सभी उपायुक्तों को ऑनलाइन सिस्टम बनाकर पंचायतों के पास उपलब्ध सीएचसी के सदुपयोग की स्थिति का आकलन करवाने को भी कहा। इसके अलावा थैंक यू किसान नामक अभियान के तहत पराली न जलाकर इनका उचित प्रबंधन करने वाले किसानों को 1000 रुपये प्रति एकड़ की दर से सहायता राशि भी दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि गत्ता फैक्ट्री, पावर जनरेशन, एथनोल तथा बायोमास सहित अन्य संयंत्रों में पराली की मांग है। कृषि अधिकारी इन संयंत्रों के संचालकों व किसानों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाते हुए पराली का प्रबंधन करवाएं। इस दिशा में किसानों को जागरूक करने के लिए गांवों में विभिन्न माध्यमों से जागरूकता कार्यक्रम व अभियान भी आयेजित करवाए जाएं। विभाग एक्टीविटी कलेंडर व माइक्रो प्लानिंग बनाकर ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाए। उन्होंने कहा कि पंचायती भूमि का कुछ हिस्सा पराली संग्रहण के लिए आरक्षित रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत प्रदेश में एक लाख एकड़ से ज्यादा भूमि पर इस वर्ष धान के अलावा अन्य फसलें बोई गई हैं। यह पानी की बचत के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
वीडियो कॉन्फ्रेंस के उपरांत उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने कृषि अधिकारियों के साथ जिला की स्थिति की समीक्षा की। कृषि उपनिदेशक डॉ. बलवंत सहारण ने उन्हें अवगत करवाया कि जिला में 7 गांव रेड जोन जबकि 16 गांव ऑरेंज जोन में हैं। उपायुक्त ने इन गांवों में व्यापक जागरूकता अभियान व शिविर आयोजित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा पराली जलाने के संबंध में जिला के प्रत्येक संवेदनशील गांव के लिए विशेष रणनीति का खाका तैयार किया जाए। उन्होंने प्रत्येक गांव में ग्राम सचिव, पटवारी, कृषि विभाग के कर्मचारी, सरपंच व नंबरदार को शामिल करते हुए कमेटियां बनाने के भी निर्देश दिए जो पराली में आग लगाने की घटनाओं की निगरानी करेंगी।