H.A.U ‘अनुप्रयुक्त विज्ञान के लिए कम्प्युटेशनल तकनीक’ विषय पर दो दिवसीय वेबिनार संपन्न

हिसार : 7 जुलाई 2020
 अभिकलन की तकनीकों का कृषि विज्ञान, अनुप्रयुक्त विज्ञान व व्यावहारिक विज्ञान के शोध में हमेशा से ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वर्तमान समय मेें कम्प्यूटर तकनीकों के विकास के कारण इसकी भूमिका और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गयी है। इन तकनीकों ने प्रयोगशालाओं में शोध निष्कर्षों को आम जनता के लिए बहुत ही उपयोगी बना दिया है। उक्त विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के.पी.सिंह ने कहे। वे ऑनलाइन माध्यम से मौलिक विज्ञान और मानविकी महाविद्यालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय वेबिनार के समापन अवसर प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में गणितीय मॉडलिंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन सीखने और डेटा विश्लेषण तकनीकों ने अनुसंधान को वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए अधिक यथार्थवादी और उपयोगी बना दिया है। वर्तमान में देश में प्राकृतिक और वित्तीय संसाधनों के अनुरूप की जाने वाली बेहतरीन खेती विभिन्न विज्ञानों में लागू कम्प्युटेशनल तकनीकों का ही एक परिणाम है। उन्होंने कहा कि किसानों, चिकित्सा विज्ञान और रक्षा प्रणालियों के लिए विकसित सभी मशीनें और प्रणालियां कंप्यूटर आधारित कम्प्युटेशनल प्रौद्योगिकियों के उपयोग से ही संभव हो पाई हैं।  अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत व महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. राजबीर सिंह ने प्रतिभागियों के ज्ञान और कम्प्युटेशनल कौशल को बढ़ाने के विशिष्ट उद्देश्य के साथ इस वेबिनार के सफल आयोजन के लिए बधाई दी।  उन्होंने कहा कि सत्तत अनुकरण, कृत्रिम तकनीकों व आंकड़ा विश्लेषण का कृषि वैज्ञानिकों व अनुप्रयुक्त वैज्ञानिकों के शोध कार्यों को शिखर पर पहुचाने में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होने आशा व्यक्त की कि यह वेबिनार सभी प्रतिभागियों के शिक्षा व शोध कार्यों को आगे बढ़ाने में लाभदायक सिद्ध होगा। विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मंजू सिंह टांक ने सभी वक्ताओं का स्वागत किया और बताया कि वेबिनार के लिए लगभग 430 प्रतिभागियों ने पंजीकरण किया था और 240 से अधिक प्रतिभागी इस वेबिनार में शामिल हुए हैं। वेबिनार के दौरान छात्रों, शिक्षकों, विद्वानों, विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने वक्ताओं के साथ प्रश्नोत्तर भी किए। इस वेबिनार में गणित व सांख्यिकी विषय के शोध कार्यों का उल्लेख करते हुए महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक से डॉ. पूनम रेढू व थापर विश्वविद्यालय, पटियाला से डॉ.ईशा धीमान ने अपने विचार रखे। विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मंजू सिंह टांक ने बताया कि अमेटी यूनिवर्सिटी नोएडा से डॉ. नीरज कुमार और राजकीय महाविद्यालय नलवा से डॉ. कोमल मलिक ने भी इसी विषय पर अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए। गणित और सांख्यिकी विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. सरिता मलिक ने सभी का धन्यवाद किया। वेबिनार का संचालन विभाग की शोध छात्राओं प्रीति व फागुन मेहता ने किया।