स्पीकाथॉन क्लब द्वारा आजादी अमृत महोत्सव श्रृंखला के चौथे संस्करण का हुआ आयोजन

 जून 05, 2021

गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के ट्रेनिंग एंड प्लेसमैंट सैल के सौजन्य के नेतृत्व में स्पीकाथॉन क्लब द्वारा भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में ’ऑनलाइन भाषण प्रतियोगिता’ के रूप में ’आजादी अमृत महोत्सव श्रृंखला’ के चौथे संस्करण का आयोजन किया गया। इस सप्ताह के स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर थे, जिन्हें स्वतंत्रवीर सावरकर के नाम से जाना जाता था तथा जिनकी जयंती 28 मई को पड़ती है। इस आयोजन में विश्वविद्यालय कैंपस के विद्यार्थियों सहित सम्बद्ध महाविद्यालयों के लगभग 30 विद्यार्थियों ने भाग लिया। इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो. दीपक केडिया कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे।  कार्यक्रम की अध्यक्षता ट्रेनिंग एंड प्लेसमैंट सैल के निदेशक प्रताप सिंह मलिक ने की।
प्रो. दीपक केडिया ने अपने सम्बोधन में विद्यार्थियों से हमारे स्वतंत्रता सेनानियों से सीखने की अपील की। उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता सेनानी महान विचारक थे।  वे अपने अपने शब्दों के धनी थे और अत्याधिक धैर्य और दृढ़ता रखते थे।  उन्होंने बताया कि अगर हम कुछ करने के लिए आत्मनिर्भर हैं तो हमें कोई रोक नहीं सकता।
प्रतिभागी विद्यार्थियों ने भारत की आजादी के लिए सावरकर के जीवन, संघर्षों और बलिदानों, उनके द्वारा सीखे गए सबक और वर्तमान संदर्भ में उनके विचारों की प्रासंगिकता के बारे में उत्साहपूर्वक चर्चा की। विद्यार्थियों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सावरकर एक महान कवि, लेखक, वक्ता और स्वतंत्रता सेनानी थे। बचपन में ही उन्होंने विदेशी सामानों की होली जलाकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेना शुरू कर दिया था। 1857 की क्रांति की याद में लिखी गई उनकी पुस्तक ’द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस’ स्वतंत्रता सेनानियों के लिए इतनी प्रेरक थी कि इसके प्रकाशन से पहले ही ब्रिटिश सरकार ने इसे प्रतिबंधित कर दिया था। उनकी प्रेरणा से मदन लाल ढींगड़ा ने लंदन में क्रूर कर्जन वायली को मार डाला और अंत में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। विद्यार्थियों ने पोर्ट ब्लेयर की सेलुलर जेल में बंदी बनाए जाने पर उन पर हुए अत्याचारों पर प्रकाश डाला। इन सब बाधाओं के बावजूद उन्होंने कभी धैर्य नहीं खोया और सेलुलर जेल की दीवारों पर भी कविताएं लिखी। उन्होंने रत्नागिरी में अछूत की कुरीतियों को मिटाने के लिए कई पहल की।


सहायक निदेशक डा. आदित्यवीर सिंह ने बताया कि गरिमा को कार्यक्रम का सर्वश्रेष्ठ वक्ता घोषित किया गया। कार्यक्रम समन्वयक डा. रंजीत सिंह ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। उन्होंने वीर सावरकर के जीवन के बारे में कुछ बिंदु भी बताए और बहुत ही रोचक तरीके से अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए विद्यार्थियों की सराहना की। एंकरिंग मोनिका सिहाग ने की। क्लब समन्वयक अपूर्वा के साथ स्वयंसेवकों आलोक, उन्नति, प्रांजलि, राघव, आरजू, इंद्रजीत व अंजलि का कार्यक्रम को सुचारू रूप से संचालित करने में विशेष योगदान रहा।