H.A.U के दो दिवसीय वर्चुअल कृषि मेले का समापन, करीब 31 हजार किसानों ने किया पंजीकरण

हिसार : 14 अक्तुबर
गिरते भूमिगत जल स्तर व कम होती जमीन की उर्वरा शक्ति को बचाने के लिए किसानों को टपका सिंचाई व फसल विविधिकरण को अपनाना होगा। ऐसा करने से एक ओर जहां पानी की बचत होगी वहीं दूसरी ओर किसान को आर्थिक फायदा भी होगा और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। ये विचार हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष श्री रणबीर सिंह गंगवा ने कहे। वे बुधवार को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित देश के दूसरे व प्रदेश के पहले वर्चुअल कृषि मेले के समापन अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे धान की पराली को जलाने की बजाए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बताए गए तरीकों से ही पराली का उचित प्रबंधन करें ताकि पर्यावरण प्रदूषण होने से बचाया जा सके और भूमि की उर्वरा शक्ति भी बनी रहे। विधानसभा उपाध्यक्ष ने किसानों से जैविक खेती व कृषि विविधिकरण अपनाने के साथ-साथ विश्वविद्यालय द्वारा विकसित फसलों व सब्जियों की आधुनिक किस्मों के बीज व तकनीकों को अपनाएं ताकि अधिक से अधिक फसलों से उत्पादन हासिल कर सकें। इससे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के किसानों की आय को दोगुणा करने के लक्ष्य को मजबूती मिलेगी। उन्होंने किसानों से किसान समूह बनाकर कृषि करने की भी अपील कि ताकि वे हर प्रकार की तकनीक को समूह में अपनाकर लाभ उठा सकें। उन्होंने मेले के सफल आयोजन के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह सहित विश्वविद्यालय प्रशासन की सराहना की और कहा कि उन्होंने कोरोना महामारी की चुनौती को अवसर में बदलकर किसानों के हित के लिए काम किया है।
पर्यावरण बचाने के लिए पराली न जलाएं किसान : प्रोफेसर समर सिंह
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने मुख्यातिथि का कार्यक्रम मेें ऑनलाइन रूप से शामिल होने पर स्वागत किया और विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित मेले के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे पर्यावरण को बचाने के लिए पराली का न जलाएं। वैज्ञानिक तरीके से इसका प्रबंधन करें ताकि भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखा जा सके और भूमि में मौजूद मित्र कीटों को बचाया जा सके। इससे पर्यावरण प्रदूषित होने से भी बचाया जा सकेगा। कुलपति महोदय ने किसानों से अपील की कि वे अतंरराष्ट्रीय स्तर के बाजार को ध्यान में रखकर फसलों का उत्पादन करें व गुणवत्ता का ध्यान रखें ताकि उनको फसल का उचित मूल्य मिल सके और उनकी आमदनी में बढ़ोतरी हो सके जिसके लिए देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी भी  निरंतर प्रयासरत हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे ऐसी किस्में विकसित करें जिनमें पोषक तत्व अधिक से अधिक हों।
मेले की वेबसाइट को मिले डेढ़ लाख से अधिक व्यूज
विस्तार शिक्षा निदेशालय के सह-निदेशक(किसान परामर्श केंद्र)डॉ. सुनील ढांडा ने बताया कि इस वर्चुअल कृषि मेले में में एक लाख 56 हजार बार मेले की वेबसाइट को देखा गया। उन्होंने बताया कि इस वर्चुअल कृषि मेले के लिए करीब 32 हजार किसानों ने अपने मोबाइल नंबर के माध्यम से पंजीकरण करवाया। हालांकि बाद में बिना मोबाइल नंबर के भी वेबसाइट को सबके लिए ओपन कर दिया गया था, जिसमें अधिक से अधिक किसान शामिल हुए। उन्होंने बताया कि इसके अलावा विश्वविद्यालय के इस वर्चुअल कृषि मेले में वेबसाइट को 56000 बार विजिट किया गया। इस मेले में देश-विदेश से भी अनेक किसान शामिल हुए, जिसमें यूएसए, चीन व इंडोनेसिया के करीब 370 लोग शामिल हुए।
ये भी रहे कार्यक्रम में मौजूद
वर्चुअल कृषि मेले के समापन अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति के विशेष कार्यकारी अधिकारी डॉ. एम.एस. सिद्धपुरिया, कुलसचिव डॉ. बी.आर. कंबोज, विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. आर.एस. हुड्डा, अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत, चीफ इंजीनीयर भूपेंद्र सिंह, डॉ. राजवीर सिंह, डॉ. सीमा रानी, विस्तार शिक्षा निदेशालय के सह-निदेशक(किसान परामर्श केंद्र)डॉ. सुनील ढांडा सहित सभी कृषि विज्ञान केंद्रों के इंचार्ज व विभागाध्यक्ष मौजूद थे। इस कार्यक्रम में देश व विदेश से किसान ऑनलाइन रूप से शामिल हुए।