जनआंदोलन व जनभागीदारी से ही मिटाया जा सकता है कुपोषण : कमल गुप्ता

एचएयू में राष्ट्रीय पोषण माह के तहत अंतरराष्ट्रीय वेबिनार आयोजित, यू.एस.ए. व केन्या के विशेषज्ञों ने भी दिए व्याख्यान
हिसार : 20 सितम्बर
कुपोषण व एनीमिया देश के लिए चिंता का विषय हैं। इन्हें केवल जन आंदोलन व जनभागीदारी से ही मिटाया जा सकता है। ये विचार माननीय विधायक श्री कमल गुप्ता जी ने व्यक्त किए। वे चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय पोषण माह के तहत एक अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन वेबिनार में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। इंदिरा चक्रवर्ती महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. बिमला ढांडा ने बताया कि इस वेबिनार का आयोजन राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के आईडीपी प्रोजेक्ट के सहयोग से महाविद्यालय के खाद्य एवं पोषण विभाग द्वारा आयोजित किया गया। मुख्यातिथि ने कहा कि देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा था कि वे देश को कुपोषण मुक्त भारत के रूप में देखना चाहते हैं। इसके लिए अनेक योजनाओं पर कार्य भी चल रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में अनेकों गर्भवती महिलाएं व बच्चे एनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से जूझ रहे हैं। इससे उनकी कार्य क्षमता पर विपरीत असर पड़ता है और समाज की प्रगति भी रूकती है। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष सितम्बर माह में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है, लेकिन इस बार प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर देशभर में इसे राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने अपील की कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने भोजन में मोटे अनाज, हरी-सब्जियों और सूक्ष्म तत्वों से भरपूर अन्न का सेवन करना चाहिए। शास्त्रों में भी कहा गया है कि जैसा अन्न वैसा मन। इसलिए इसी कहावत को चरितार्थ करते हुए भोजन करना चाहिए। अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत ने मुख्यातिथि व सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों का स्वागत किया व कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में भी फोर्टिफाइड किस्मों को विकसित करने की दिशा में काम चल रहा है।
मोटापा के साथ-साथ सूक्ष्म तत्वों की कमी से जूझ रहा है देश : प्रोफेसर समर सिंह
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने कहा कि गत दशकों में आए खानपान के बदलाव के चलते देश में लोग मोटापे की समस्या से ग्रसित हैं। दूसरी ओर उनमें सूक्ष्म पोषक तत्वों की बहुत कमी हो गई है। इसलिए हमें अपने भोजन में फल-सब्जियां, फाइबर युक्त भोजन का अधिक से अधिक इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा की आजकल लोग अपने भोजन में पौष्टिक भोजन की अपेक्षा मेदा से बनी चीजें व तली हुई चीजों को फास्ट फूड के नाम पर खा रहे हैं। इससे पेट तो भर जाता है, लेकिन शरीर में आवश्यक तत्वों की पूर्ति नहीं हो पाती। उन्होंने कहा कि शरीर में जिंक, लौह तत्व, विटामिन-ए आदि की कमी शरीर में तत्काल नजर नहीं आती। इसके लक्षण बहुत लंबे समय बाद दिखाई देते हैं, जिसे हिड्न हंगर यानि छिपी हुई भूख के नाम से जाना जाता है। देश में अनाज की कोई कमी नहीं है, किंतु लोगों द्वारा उसका चयन गलत तरीके से हो रहा है।
स्मार्टफोन की मदद से पता चल जाएंगे भोजन में लौह तत्व
वेबिनार में व्याख्यान देते हुए यू.एस.ए. की फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के खाद्य विज्ञान एवं मानव पोषण विभाग के डॉ. जुआन एंड्रेड ने कहा कि उन्होंने ऐसी तकनीक को विकसित किया है, जिसमें स्मार्टफोन की मदद से भोजन में मौजूद लौह तत्वों की मात्रा का आसानी से पता लगाया जा सकता है। इसका उपयोग सामान्य लोग भी कर सकते हैं। हरियाणा सरकार की सचिव एवं मेडिकल शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग की महानिदेशक अमनीत पी. कुमार ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा एनीमिया को लेकर खास योजनाएं चलाई जा रही हैं। लोगों को एनीमिया के बारे में जागरूक भी किया जा रहा है। सरकार कुपोषण व एनीमिया की समस्या के निदान के लिए प्रयासरत है। उन्होंने सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। केन्या से पोषण विशेषज्ञ कैथरीन मैकारिया-मूटी ने अंतरराष्ट्रीय वेबिनार के माध्यम से वैश्विक स्तर पर बच्चों में अल्प पोषण, कम वजनी बच्चों के जन्म तथा किशोरी बालिकाओं, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं तथा बच्चों में खून की कमी को दूर करने जैसी समस्याओं के प्रति अपने विचार व्यक्त किए और उनके समाधान को लेकर चर्चा की।
700 प्रतिभागियों ने कराया पंजीकरण
महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. बिमला ढांडा ने पोषण माह के तहत करवाई जा रही गतिविधियों के लिए खाद्य एवं पोषण विभाग को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इतनी तरक्की करने के बावजूद देश में कुपोषण की समस्या बहुत ही चिंताजनक है। खाद्य एवं पोषण विभाग की अध्यक्षा डॉ. संगीता चहल सिंधु ने बताया कि इस वेबिनार के लिए देश व विदेश से करीब 700 प्रतिभागियों द्वारा पंजीकरण करवाया गया। इस वेबिनार को गुगल मीट के अलावा यू-ट्यूब पर भी आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में विभाग की ओर से डॉ. वीनू सांगवान, डॉ. उवर्शी नांदल, डॉ. वर्षा रानी का विशेष सहयोग रहा। सभी प्रतिभागियों को ई-प्रमाण पत्र दिए जाएंगे।