नाइट्रोजन ऑक्साइड और मिथेन की जलवायु परिवर्तन में मुख्य भूमिका : प्रोफेसर समर सिंह

पराली जलाने से निकलती हैं जहरीली गैसें, पराली प्रबंधन अपनाने का आह्वान्
हिसार : 6 अगस्त
पराली जलाने से जहरीली गैसें निकलती हैं जो पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित हो रही हैं, जिससे जलवायु में परिवर्तन हो रहा है। इसलिए किसानों को पराली जलाने की बजाए उसके उचित प्रबंधन को अपनाना चाहिए। उक्त विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने कहे। वे जलवायु परिवर्तन विषय को लेकर आयोजित एक ऑनलाइन व्यक्तव्य लाृंखला को  संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय, सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग, अधिष्ठाता स्नातोकत्तर कार्यालय व अंतरराष्ट्रीय संयोजक के संयुक्त तत्वावधान में ‘राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना’ के तहत किया गया था। उन्होंने कहा कि जलवायु परिर्वतन एक वैश्विक मुद्दा है और उत्तर भारत में धान की पराली प्रबधंन एक समस्या है। पराली के जलने से सांस लेने योग्य वायु का स्तर गिरता है व तापमान में वृद्धि के कारण ग्लोबल वार्मिंग होती है। इसके साथ-साथ खेत में पड़े अवशेष जलाने से पौषक तत्वों की हानि भी होती है। प्रोफेसर समर सिंह ने कहा कि उचित प्रबधंन द्वारा इन पौषक तत्वों को वापिस भूमि में फसल उत्पादन के लिए लिया जा सकता है।
इनोवेशन सेंटर फॉर एग्रीवेस्ट मैनेजमेंट होगा मददगार
उन्होनें बताया कि विश्वविद्यालय में इसके लिए इनोवेशन सेंटर फॉर एग्रीवेस्ट मैनेजमेंट स्थापित किया गया है जो जल्द ही धान पराली प्रबधंन का कार्य शुरू कर किसानों की पराली प्रबधंन की समस्या को काफी हद तक हल करने में अपनी अहम भूमिका निभाएगा। इस व्यक्तव्य लाृंखला का आयोजन 16, 23, 30 जुलाई व 6 अगस्त को किया गया था। विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत ने बताया कि इस व्यक्तव्य लाृंखला का मुख्य उद्देश्य विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा वैज्ञानिक समुदाय के लिए ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत जलवायु परिवर्तन पर महत्वपूर्ण जानकारियां आदान-प्रदान करना है। उन्होंने बताया कि इस व्यक्तव्य लाृंखला के मुख्य वक्ता डॉ. यशडांग थे जो यूनिवर्सिटी ऑफ क्वीनसलैंड, आस्ट्रेलिया में स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर एंड फूड साइंस में कार्यरत हैं। डॉ. यशडांग ने जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक मुद्दा, भूमि और जलवायु परिर्वतन के विरोध में हमारे साथी, जलवायु परिवर्तन में नाइट्रोजन व जलवायु परिवर्तन में मिथेन पर अपने व्यक्तव्य दिए। अंतरराष्ट्रीय मामलों के संयोजक डॉ. दलविन्द्र सिंह ने बताया कि इस दौरान डॉ. यशडांग ने कुलपति प्रोफेसर समर सिंह से धान की पराली प्रबधंन पर विशेष बातचीत की जिसमें उन्होनें बताया कि पराली जलाने पर वैश्विक स्तर पर जलवायु व भूमि के सूक्ष्मजीवों पर बुरा प्रभाव पडता है जिसके लिए नाइट्रोजन व मीथेन गैस मुख्य घटक हैं। उन्होंने इस अवसर पर छात्रों व वैज्ञानिकों के लिए अंतरराष्ट्रीय फैलोशिप व शोध के लिए फंडिग के बारे में विस्तार से बताया। स्नातकोत्तर अधिष्ठाा डॉ. आशा क्वात्रा ने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलोशिप प्राप्त करने में मद्द मिलेगी व छात्रों का अंतरराष्ट्रीय अनुभव प्राप्त होगा। अंतरराष्ट्रीय माामलों के संयोजक डॉ. अनुज राणा ने बताया कि इस व्यक्तव्य लाृंखला में 100 से ज्यादा प्रतिभागियों ने भाग लिया।