जैन धर्म का महान पर्व पर्युषण : मुनि विजय कुमार

जैन धर्म का महान पर्व पर्युषण 15 अगस्त से शुरू, 9 दिन तक चलेगा पर्व
हिसार 14 अगस्त : तेरापंथ भवन कटला रामलीला में विराजित शासन श्री मुनि विजय कुमार ने बताया कि पर्युषण जैन धर्म का महान पर्व है। यह हर भाद्रव महीने में आता है। इसे नवाह्मिक महापर्व भी कहा जाता है। इसका 8वां दिन संवत्सरी के नाम से प्रसिद्ध है। हजारों व्रत उपवास उस दिन किए जाते हैं। इस वर्ष पर्युषण पर्व 15 अगस्त से प्रारंभ हो रहा है। संसार में अनेक प्रकार के पर्व आते हैं, किंतु यह पर्व उन सबसे भिन्न है। अन्य पर्वों में खाने-पीने, नाच-गान व मनोरंजन की प्रधानता रहती है किंतु पर्युषण पर्व इन सबसे हटकर त्याग, तप व संयम की प्रेरणा देता है। पर्युषण का शाब्दिक अर्थ है-अपनी आत्मा में रहना। आज का आदमी पदार्थवादी है। पदार्थों के आकर्षण में वह अपने आत्म स्वभाव को भूलता जा रहा है। पदार्थ पाने की अंधी दौड़ ने उसकी शांति को भंग कर दिया है, उसी का परिणाम है कि सबकुछ होते हुए भी वह स्वयं को अभावग्रस्त अनुभव कर रहा है।
मुनि श्री ने कहा कि मनुष्य का जीवन उपहारस्वरूप होता है किंतु वह उसे भारभूत लगने लगता है। पर्युषण के प्रारंभिक 8 दिनों में व्यक्ति विविधमुखी त्याग और संयम के प्रयोगों के द्वारा अपनी आत्मा के आसपास और आत्मस्वभाव में रहने का प्रयास करता है। पिछले वर्ष में कहां-कहां आत्मा से भटका, किनके साथ दुव्र्यवहार किया, किसी के हित में बाधक तो नहीं बना, दूसरों पर गलत दोषारोपण तो नहीं किया, धोखाधड़ी तो नहीं की। किसी के साथ दुश्मनी तो नहीं की आदि बातों का चिंतन संवत्सरी के दिन किया जाता है। केवल चिंतन ही नहीं, आगामी वर्ष के लिए व्यक्ति यह संकल्प भी लेता है कि मैंने पिछले वर्ष प्रमादवाश जो भी भूलें कीं, अब वे आगे नहीं करूंगा। प्रर्युषण पर्व की आराधाना का 9वां दिन क्षमापना दिवस होता है। अपनी भूलों के लिए दूसरों से क्षमा मांगना व दूसरों को उनकी भूलों के लिए क्षमा देना, यही इस दिन का मुख्य संदेश होता है। शरीर से ही नहीं, व्यक्ति मन से भी हल्का बने, पर्युषण पर्व सभी को यही प्रेरणा देता है।


फोटो -शासनश्री मुनि विजय कुमार


मुनि विजय कुमार ने कहा कि इन नौ दिनों में धर्म स्थानों में बड़ी भीड़ रहती है किंतु कोरोना संकट के कारण परमपूज्य आचार्य महाश्रमण के निर्देशानुसार तेरापंथ धर्मस्थानों में पव्रचन य अन्य कोई आयोजन नहीं रखा गया है। इसलिए हर कोई व्यक्तिगत तौर पर धर्मोपासना करे, त्याग तप में कमी न आनें देें। संत-सतियों के सानिध्य का अवश्य लाभ लें।
इस अवसर पर तेरापंथ सभा हिसार के अध्यक्ष संजय जैन ने बताया कि पर्युषण के दिनों में 8 ही दिन नमस्कार महामंत्र का अखंड जाप चलता है, इस बार यह धर्मस्थान पर नहीं रखकर अपने-अपने घरों में ही चलेगा। इसमें अनेक भाई-बहन संभागी बन रहे हैं जिसका जो समय निर्धारित हो वह उसी अनुरूप जाप कर्म करे।