H.A.U के कैम्पस स्कूल में 74वें स्वतन्तत्रता दिवस पर कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने किया ध्वजारोहण

हिसार : 15 अगस्त 2020
आज 74वें स्वतन्त्रता समारोह के अवसर पर चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के शुभ अवसर पर सामाजिक दूरी को कायम रखते हुए कैम्पस स्कूल में स्वाधीनता समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम का शुभारम्भ वृक्षारोपण करके किया। विद्यालय के प्रंागण में कुलपति प्रोफेसर समर सिंह के हाथों ड्वार्फ पोइनसियाना का वृक्षारोपण किया। इसके पश्चात् विश्वविद्यालय के सभी अधिष्ठाता, निदेशक, कुलसचिव, अनुसंधान निदेशक व विद्यालय के अध्यापकों की उपस्थिति में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को फहराया, जिसके बाद विद्यालय की शिक्षिकाओं ने राष्ट्रीय गान जनगण मन गाया ।  इस अवसर पर विद्यालय के नियन्त्रण अधिकारी डॉ. एस.के. ठकराल व कैंपस स्कूल के प्रिंसीपल श्री सोमा सेखरा सर्मा धूलीपाल्ला ने कुलपति प्रोफेसर समर सिंह से विश्वविद्यालय के सफाई कर्मचारियों को कोरोना योद्धा के रूप में सम्मानित करने का आग्रह किया। इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने (कोरोना योद्धा) श्री इन्द्र, श्री जितेन्द्र, श्री राजेश, श्रीमति रीना, श्रीमति पद्मा, श्री विक्रम, श्री बलराज व श्रीमति विमला समेत आठ कोरोना योद्धाओं पर पुष्प वर्षा करके सम्मानित किया। इसके साथ-साथ कोरोना महामारी के चलते इस महामारी के प्रति जागरूकता व बचाव अभियान में शामिल पत्रकारों, पुलिसकर्मियों, सफाईकर्मियों व विभिन्न सामाजिक सगठनों का धन्यवाद किया।


फोटो  : 74वें स्वतन्त्रता समारोह के अवसर पर कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ध्वजारोहण व पौधारोपण करते हुए।


प्रथम कुलपति श्री ए.एल फलैचर को किया याद
इसके बाद कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में अपने वक्तव्य मे विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति श्री ए.एल फलैचर को याद करते हुए उनके बड़े लक्ष्यों का जि़क्र किया। उन्होंने बताया कि श्री फलैचर ने विश्वविद्यालय में चंहुमखी विकास के लिए कार्य किया, जिसके तहत् प्रयोगशालाओं, स्वीमिंग पुल, व करीब 10000 पुस्तकों के माध्यम से नेहरू पुस्तकालय का गठन किया। प्रोफेसर समर सिंह ने सत्वमेव जयते् के मंत्र बारे में उल्लेख किया कि अन्त में सत्य की ही विजय होती है। सत्य का अनुसरण करने वाले का चरित्र महान् बनता है, वह व्यक्ति कत्र्तव्यनिष्ठ होता है। उन्होंने उस समय को याद करते हुए कहा कि मात्र 33 फैकल्टी सदस्य होने के बावजूद विश्वविद्यालय ने शोध, शिक्षा व विस्तार के क्षेत्र में गहन कार्य किया।  
विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का किया जाए आयोजन
प्रोफेसर समर सिंह ने बताया कि छात्रों के चरित्र निर्माण व विकास के लिए आवश्यक है कि कैम्पस स्कूल में विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाना चाहिए। इसमें काव्य पाठ, लेखन, भाषण प्रतियोगिता, नृत्य, गायन, व खेल के कोचिंग स्टाफ द्वारा खेलों का आयोजन, शैक्षणिक यात्राओं का आयोजन किया जाए जिससे इस विद्यालय के छात्र अपने अध्यापकों के मार्गदर्शन में विद्यालय व देश का नाम अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध कर सकें।
‘आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम’ से होगा देश का विकास
प्रोफेसर समर सिंह ने ‘आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम’ पर कहा कि इससे देश की मुलभूत ढ़ांचे के निर्माण कार्य में सफल भूमिका अदा करेगा। देश में निर्मित व विकसित तकनीकियों को पनपने का मौका मिलेगा। साथ ही कौशल निर्माण के तहत् रोजगार सृजन होगा जिससे देश का तीक्ष्ण मस्तिष्क देश की सेवा में कार्य कर सकेगा।
शहीदों को दी श्रद्धाजंलि
प्रोफेसर समर सिंह ने सभी शहीद हुए नौजवानों को याद करते हुए उन्हें हार्दिक श्रद्धाजंलि दी व हाल ही में कोजीकोड में हवाई जहाज दुर्घटना में मरने वाले यात्रियों के परिवारों के प्रति अपनी सांत्वना व्यक्त की। उन्होनें कहा कि जिस तरह सीमा पर सर्तक रहकर नौजवान देश की रक्षा करते है उसी प्रकार हमें भी एकजुट होकर जाति, पंथ व धर्म से ऊपर उठकर देश की प्रगति में प्रयासरत् होना चाहिए।
किसानों और वैज्ञानिको के तालमेल से कृषि में विकास संभव
इस अवसर पर उन्होनें देश के किसानों को बधाई देते हुए कहा कि किसान देश का पेट भरते है और इस कड़ी में देश के कृषि वैज्ञानिकों के योगदान से फसलों का उत्पादन करके कृषि उत्पादन के क्षेत्र में आगे बढ़ रहें है। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक तकनीकों के सफल क्रिर्यान्वयन् से फसलों का उत्पादन बढ़ा है व बागवानी में नौ गुणा तक बढ़ोतरी हुई है। भारत दुग्धोत्पादन, झींगा, केला व कुछ अन्य फलों के उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। यह सब किसान और वैज्ञानिकों के आपसी सहयोग से संभव हो पाया है।
संसाधनों को करें संरक्षण
इस अवसर पर प्रोफेसर समर सिंह ने बताया कि जल, भूमि इत्यादि संसाधनों के संरक्षण की अत्याधिक आवश्यकता है। उन्होनें कहा कि पानी का स्तर लगातार नीचे गिर रहा है साथ ही भूमि का स्वास्थ्य भी ज्यादा अच्छा नही है। ऐसी अवस्था में किसान व कृषि वैज्ञानिकों को इन संसाधनों के संरक्षण पर ध्यान देना होगा। साथ ही किसानों की आय को बढ़ाने के लिए सतत् विकास के नियमों की पालना करते हुए आगे बढऩा होगा ताकि वातावरण साफ व स्वच्छ रहे और आने वाली पीढिय़ां अपना निर्वाहन अच्छे से कर सकें।
कौशल निर्माण से संभव होगा विकास
प्रोफेसर समर सिंह ने बताया कि देश मे 3.15 लाख छोटे किसान है जिनके पास लगभग एक हैक्टेयर भूमि है व 7.8 लाख सीमान्त किसान है जिनके पास लगभग एक हैक्टेयर से कम भूमि है। ऐसी स्थिति में कौशल निर्माण, समेकित खेती प्रणाली जिसमें पशु-पालन, मत्स्य पालन, खुम्ब उत्पादन, मधु मक्खी पालन, पोलट्री के साथ-साथ महिला किसानों को सशक्त करने की आवश्यकता है। इसके लिए महिलाओं को कृषि संबंधी उत्पाद् जैसे आचार, मुरब्बा व अन्य व्यंजन बनाने के लिए निपुण करना होगा साथ ही अपने घरेलू कार्यों के साथ सिलाई, कढ़ाई मे निपुण होकर आय में अपना योगदान देने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके लिए कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा चलाये गए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों से लाभ उठाया जाना चाहिए। साथ ही विस्तार अधिकारियों द्वारा अपने क्षेत्र के किसानों की उन्नति हेतु उचित प्रयास किए जाने चाहिए।
कृषि को व्यवसाय में किया जाए स्थापित
प्रोफेसर समर सिंह ने बताया कि कृषि को व्यवसाय के रूप में स्थापित करने के लिए प्रदेश के किसानों का आह्वान करते हुए कहा कि किसान लघु स्तर पर कृषि को एक उद्योग के रूप में स्थापित करें। इसके लिए विश्वविद्यालय किसानों के साथ मिलकर कार्य कर रहा है जिसके अन्तर्गत गुणवत्तायुक्त कृषि उत्पादों का सृजन, औषधीय पौधों के प्रति जागरूकता, जैविक खेती के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम व भारतीय संस्कृति से जुड़े खेती संबंधी प्राचीन सिद्धांतों का शामिल किया जाना प्रमुख है। साथ ही हाल ही में माननीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जारी किए गए अध्यादेश अनुसार किसान भाई स्वेच्छानुसार अपनी फसल बेच सकेंगें और हरियाणा सरकार द्वारा फसल विविधीकरण के अन्तर्गत धान के खेत में अन्य फसल लगाने पर प्रति हैक्टेयर सात हजार रूपये का अनुदान देने पर हर्ष जताया और कहा कि इससे किसानों का ध्यान बागवानी इत्यादि की तरफ आकर्षित होगा जिससे जल जैसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन का संरक्षण हो सकेगा जिसमें टपका सिंचाई प्रणाली एक अहम भूमिका निभाएगी। उन्होने बताया कि महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय ने इस संदर्भ में सब्जियों का उत्पादन करने के लिए नई तकनीकों का विकास किया है जिसमें ट्रे आधारित सब्जी उत्पादन तकनीक प्रमुख है जो क्षैतिज व ऊर्धवाधर खेती के तहत उपलब्ध स्थान का बेहतर उपयोग संभव कर सकेगीं।
खेती में करें मशाीनीकरण
प्रोफेसर समर सिंह ने कहा कि खेती में पूर्णरूप से मशीनों का उपयोग न होने के कारण खेती उत्पादन का खर्च ज्यादा है जिसे मशीनीकरण के माध्यम से कम किया जा सकता है। आज की आधुनिक तकनीक जैसे रोबोटिक्स, ड्रोन द्वारा स्प्रे व हाईड्रोपोनिक्स का इस्तेमाल करके खेती में उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही विदेशी तरज पर देश में गुणवत्तायुक्त जर्मप्लाजम का इस्तेमाल करके आय को दगुना किया जा सकता है।
कोरोनाकाल में शैक्षणिक गतिविधियों को रखें जारी
प्रोफेसर समर सिंह ने कहा कि कोरोना महामारी को प्रारंभ में दो या तीन महीने लॉकडाऊन करके नियंत्रण करने की कोशिश की गई किन्तु अब हमें इस महामारी के साथ अपने जीवन व कार्यकलापों को करते हुए आगे बढऩा होगा इसके लिए विद्यालय के शिक्षकों को अपनी शैक्षणिक गतिविधियों को जारी रखना होगा साथ ही उन्होनें कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में इन्टरनेट कनैक्टिविटी की व्यवस्था को सुदृढ़ करके किसानों को विश्वविद्यालय के साथ जोडऩा होगा। इसके लिए उन्होनें विश्वविद्यालय के सभी कर्मचारियों को प्रयासरत् रहने का आहवान किया। उन्होनें कहा कि विद्यालय के शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को मास्क व सेनेटाइजर का इस्तेमाल करके सामाजिक दूरी कायम करते हुए अपनी दैनिक क्रियाओं व कार्यों को पूरा करने की आवश्यकता पर बल दिया।
किसान सेवा केन्द्र के समय को बढ़ाया जाएं
अन्त में प्रोफेसर समर सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय के किसान सेवा केन्द्र जिसका टोल फ्री नं. 1800-180-3001 है का समय प्रात: 9 से 11 बजे है जिसको किसानों की मांग पर इसका समय और बढ़ाना चाहिए। साथ ही विश्वविद्यालय के ई-मौसम पोर्टल पर बीज उपलब्धता पोर्टल बनाकर विश्वविद्यालय में मिलने वाले गुणवत्तायुक्त प्रमाणित बीज, बागवानी की नर्सरी में उपलब्ध पौधों इत्यादि का विवरण देने हेतु स्थापित करने की व्यवस्था की जाएं जिससे किसानों को एक ही प्लेटफार्म से सही जानकारी प्राप्त हो सके  और एक निश्चित अन्तराल पर इस जानकारी समय-समय पर अद्ययतन करके इस पोर्टल को उपयोगी बनाया जा सकें।