H.A.U द्वारा टिड्डी दल से बचाव के लिए दी गई सलाह का करें पालन

टिड्डी के प्रकोप से बचने के लिए किसान हो जाएं सचेत : प्रोफेसर के.पी. सिंह


यूनिक हरियाणा हिसार : 14 जुलाई
राजस्थान प्रदेश से सटे राज्य के जिलों सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, महेन्द्रगढ़, चरखी दादरी, रेवाड़ी, पलवल इत्यादि में टिड््डी दलों के प्रवेश की संभावना अधिक है। इसलिए इन क्षेत्रों के किसानों को सचेत रहने की आवश्यकता है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के.पी. सिंह ने किसानों को उक्त सलाह देते हुए कहा कि पिछले सप्ताह टिड््िडयों के दलों ने रेवाड़ी, भिवानी व सिरसा जिले के कुछ इलाकों में प्रवेश किया जोकि काफी हद तक नियंत्रित कर लिए गए। बावजूद इसके टिड््डी दल के हरियाणा प्रदेश में लगातार प्रवेश एवं फसलों पर आक्रमण भी देखने को मिला है। इसी को देखते हुए विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग द्वारा किसानों को सलाह दी गई है कि किसान टिड््डी दल के बारे में आपसी जानकारी सांझा करते रहें तथा समीपवर्ती इलाकों में प्रवेश करते ही अपनी तैयारी दुरूस्त कर लें। इसके अलावा टिड््डी दल का झुंड दिखाई देने पर ढ़ोल, ड्रम बजाकर या फिर जोर-जोर से शोर मचा कर इन्हें अपने खेतों में न बैठने दें। प्रोफेसर के.पी. सिंह ने कहा कि टिड्डी दल के प्रवेश की जानकारी किसान तुरन्त नजदीकी कृषि विज्ञान केन्द्र या कृृषि विभाग के अधिकारी को दें ताकि समय रहते इन पर काबू पाया जा सके।
टिड्डी दल की संख्या के हिसाब से ही करें कीटनाशक का छिडक़ाव
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के.पी. सिंह ने कहा कि टिड््डी दलों के बैठने की उपयुक्त जगह ऐसे इलाके होते हैं जहां रेतीले टिब्बे तथा कीकर या अन्य जंगली पेड़ झुंड में लगे हुए हों। इसलिए ऐसे इलाके के आसपास के किसानों को काफी सजग रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि टिड््िडयों की संख्या अगर एक टिड््डी प्रति वर्ग मीटर से ज्यादा है तभी किसान फसलों में विश्वविद्यालय द्वारा सिफारिश किए गए कीटनाशक का छिडक़ाव करें। इसके अलावा अनावश्यक कीटनाशकों का उपयोग फसलों पर न करें तथा सोशल मीडिया पर अनावश्यक खबरें भी न फैलायें। विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. योगेश कुमार ने बताया कि टिड््िडयों की संख्या को देखकर ही कीटनाशकों का छिडक़ाव करना चाहिए। एक खेत में अगर 50-100 टिड््िडयां  दिखाई दें (ये टिड््िडयां  दल से अलग होने वाली या भटकी हुई टिड््िडयां  होती हैं) तो स्प्रे की आवश्यकता नहीं होती। इन टिड््िडयों को किसान शोर कर के खेत में फसल से उड़ा दें या फिर संभव हो तो किसी फट््टी आदि से फसल को बिना नुकसान पहुंचाए मार दें। किसान पहले से ही अपनी फसल पर स्प्रे न करें। टिड््डी दल के बैठने पर 1200 मिली लीटर  क्लोरपाइरिफॉस 20 प्रतिशत् 400 से 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से स्पे्र करें।
प्रवासी आदत का कीट है टिड्डी
डॉ. योगेश कुमार के अनुसार टिड््डी प्रवासी आदत का कीट है। इसलिए ये एक स्थान से दूसरे स्थान तक उडक़र पहुंच जाते हैं। व्यस्क टिड््िडयों के परिपक्व होने के बाद ही ये अण्डे देने के लिए राजस्थान एवं गुजरात के रेगिस्तानी इलाके जो भारत-पाक सीमा से सटे हैं, अच्छी वर्षा होने के बाद इक्कठा होते हैं। किसानों से आह्वान् करते हुए उन्होंने कहा कि किसान चौधरी चरण सिंह हरियाणा विश्वविद्यालय द्वारा जारी हिदायतों का पालन करते हुए टिड्डी दल से अपनी फसलों का बचाव कर सकते हैं।