हिसार: 24 जून
देश के विकास व नीति निर्धारण में रिसर्च डाटा की भूमिका अहम् होती है। उक्त विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रोफेसर के.पी. सिंह ने ऑनलाइन माध्यम से आयोजित इन्डो-यूएस-अफगानिस्तान अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण मे शामिल प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। प्रशिक्षण का आयोजन युनाइटेड स्टेट एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट के आर्थिक सहयोग से कैटेलाइजिंग अफगान एग्रीकल्चर इनोवेशन प्रोजेक्ट के तहत करवाया गया। इस प्रशिक्षण में अमेरिका, भारत व अफगानिस्तान के वैज्ञानिक ऑनलाइन माध्यम से शामिल हुए। कुलपति ने युवा वैज्ञानिकों से आह्वान् किया कि वे रिसर्च में रिसर्च की बेसिक व नवीनतम तकनीकों का अधिक से अधिक प्रयोग करें ताकि रिसर्च की वैधता सुनिश्चित की जा सके, जो किसी भी देश के नीति-निर्धारण में काम आ सके। उन्होंने रिसर्च की तकनीकियों का रिसर्च में प्रयोग व उनके आंकड़ों की विवेचना के महत्व के बारे में भी विस्तारपूर्वक बताया। ऑनलाइन माध्यम से आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में अमेरिका के वर्जिनिया टैक विश्वविद्यालय से नूर सिद्दक्की, जेसिका अगन्यू, अफगानिस्तान के काबूल प्रांत से दस प्रतिभागी, नांगरहार प्रांत से सात, बालख प्रांत से बाईस, हैरात प्रांत से पंद्रह और कंधार प्रांत से बीस सहित कुल 71 प्रतिभागी ऑनलाइन माध्यम से शामिल हुए।
अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत ने प्रशिक्षण की महत्ता के बारे में विस्तारपूर्वक बताते हुए भविष्य में ऐसे आयोजन करने की इच्छा जताई। उन्होंने प्रतिभागियों को रिसर्च डिजाइन, डाटा निर्धारण के महत्व के बारे में बताते हुए कुछ मूल सांख्यिकी तकनीकों का कृषि विकास में उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया। अंतर्राष्ट्रीय मामलों के संयोजक डॉ. अनुज राणा ने कुलपति प्रो. के.पी. सिंह के साथ सभी प्रतिभागियों का ऑनलाइन माध्यम से परिचय करवाया। इसके बाद प्रोफेसर ओ.पी. श्योराण और डॉ. विनय कुमार ने प्रतिभागियों को रिसर्च डिजाइन डाटा एवं सांख्यिकी के उपयोग के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। साथ ही रिसर्च के लिए ले-आउट तैयार करने और रिसर्च की बेसिक टूल व सांख्यिकी का रिसर्च में प्रयोग करने संबंधी विस्तृत रूप से जानकारी दी। इसके बाद उन्होंने प्रशिक्षण में शामिल प्रतिभागियों को असाइनमेंट देते हुए आह्वान किया कि वे अपनी रिसर्च में सांख्यिकी साफ्टवेयर के माध्यम से रिसर्च की बेसिक तकनीकों का प्रयोग करते हुए आंकड़ों का विश्लेषण करें। इसके बाद जो भी आंकड़े निकलकर आते हैं, उन्हें ऑनलाइन माध्यम से प्रस्तुत करें ताकि उन पर गहनता से विचार-विमर्श कर उनको ओर अधिक बेहतर बनाया जा सके। इस दौरान प्रशिक्षण में शामिल प्रतिभागियों का प्री-टेस्ट लिया गया और उनके आंकलन के बाद उन्हें उसी अनुरूप अध्ययन कराते हुए पोस्ट टेस्ट के लिए असाइनमेंट दिया गया। अंतर्राष्ट्रीय मामलों के संयोजक डॉ. अनुज राणा ने बताया कि इसके बाद 29 जून को दोबारा इसी प्रशिक्षण की अगली कड़ी में उन प्रतिभागियों के पोस्ट टेस्ट के आंकलन के आधार पर उन्हें रिसर्च की व्यावहारिक तकनीकों को ऑनलाइन माध्यम से बारीकी से समझाया जाएगा।
रिसर्च में नवीनतम् तकनीकों का अधिक से अधिक प्रयोग करें युवा वैज्ञानिक : प्रोफेसर के.पी.सिंह