पीटीआई अध्यापकों को तुरंत प्रभाव से पुन: नौकरी ज्वाइन करवाए सरकार : उमेद लोहान

हिसार 22 जून : भाजपा सरकार हटाए गए 1983 पीटीआई अध्यापकों को तुरंत प्रभाव से पुन: नौकरी ज्वाइन करवाए ताकि उनके परिवारों का जीवाकोपार्जन हो सके। कोरोना के इस संकट के दौर में इन अध्यापकों को बेरोजगार करना उनके साथ सरासर अन्याय है। यह बात कांग्रेसी नेता उमेद लोहान ने आज लघुसचिवालय में धरना दे रहे पीटीआई अध्यापकों के धरने को समर्थन देते हुए अपने संबोधन में कही।
उमेद लोहान ने कहा कि एक तरफ तो सरकार रोजगार देने के बड़े-बड़े दावे कर रही है वहीं पिछले 10 वर्षों से नौकरी कर अपने परिवार का पेट पाल रहे हजारों पीटीआई शिक्षकों की रोजी-रोटी छीनकर सरकार उनके पेट पर लात मारने का काम कर रही है। इस समय तो सरकार को बेरोजगार लोगों के लिए विशेष पैकेज की व्यवस्था करनी चाहिए लेकिन जिनके पास रोजगार है सरकार उनके ही रोजगार छीनने पर तुली हुई है। उन्होंने भाजपा सरकार से मांग की कि वह माननीय सुप्रीम कोर्ट के नाम से बहानेबाजी करने की बजाय मानवतावादी दृष्टिकोण अपनाते हुए 1983 पीटीआई अध्यापकों की नौकरी को तुरंत बहाल करने का काम करे और ताकि उनके परिवारों का पालन-पोषण होता रहे।
लोहान ने कहा कि यदि भाजपा सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के प्रति इतनी ही गंभीर है तो एसवाईएल नहर का फैसला हरियाणा के पक्ष में आया हुआ है तो फिर भाजपा सरकार उस नहर का निर्माण क्यूं नहीं करवाती जबकि प्रदेश व केंद्र दोनों जगह भाजपा की सरकार है। इसके अलावा खानक खनन के मामले में जिसमें खनन को 20 फिट खोदने की बजाय उसे सैकड़ों फिट खुदवा दिया गया इसको लेकर माननीय न्यायाल ने हरियाणा सरकार पर टिप्पणी की है कि सरकार व सी.एम. ऑफिस के बिना खनन संबंधी घोटाला संभव नहीं है। अदालत की इस टिप्पणी के बाद तो सी.एम. को भी अपना पद छोड़ देना चाहिए। इसी तरह अनेक जनविरोधी मामलों में सरकार के प्रति माननीय न्यायालय को स्वत: संज्ञान लेना पड़ा है।
उमेद लोहान ने कहा कि पीटीआई अध्यापकों को हटाने के मामले में डिप्टी सीएम के भी अड़े हुए होने की बात सामने आ रही है। वे उनसे भी निवेदन करते हैं कि इन पीटीआई अध्यापकों ने पूरी चयन प्रक्रिया को अपनाते हुए अपना रोजगार हासिल किया है इसलिए किसी प्रकार की व्यक्तिगत रंजिश रखने की बजाय उनके रोजगार को छीनने का प्रयास न किया जाए। यदि उनका किसी मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा से मतभेद या रंजिश है तो वे खुले मंच पर आकर उनसे बहस करें। पीटीआई अध्यापकों को बेरोजगार करने से क्या हासिल होगा।
कांग्रेस की हुड्डा सरकार ने रोजगार के मामले में व कर्मचारियों के हितों की कभी अनदेखी नहीं होने दी और हमेशा उनके हितों का ख्याल रखा है लेकिन भाजपा सरकार न केवल कर्मचारी विरोधी है बल्कि इसमें मानवता नाम की कोई चीज नहीं है। वर्षों से नौकरी कर रहे पीटीआई आध्यापकों के साथ भाजपा सरकार द्वारा किए जा रहे अन्याय के विरोध में कांग्रेस पार्टी व प्रदेश का हर वर्ग खड़ा है। उनके विरोध व जनभावनाओं को देखते हुए सरकार को यह तानाशाही पूर्ण फैसला वापिस लेना ही पड़ेगा।