प्रजापति हनुमान वर्मा के घर पर मनाई गई बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की 129वीं जयंती

हिसार 14 अप्रैल : बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर शोषितों के मसीहा थे तथा आज भी शोषित व वंचित वर्ग सहित अन्य वर्गों के लोग उन्हें मसीहा के रूप में पूजते हैं। वे भारतीय बहुजन विधि के संस्थापक, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। उन्होंने दलित, बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों से समाज के भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। उन्होंने अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग के लोगों व महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। वहीं उन्होंने भारत के संविधान निर्माण में सर्वोपरि योगदान दिया। यह बात भाजपा नेता हनुमान वर्मा ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 129वीं जयंती के मौके पर उनके निवास पर आयोजित जयंती कार्यक्रम में कही। सोशल डिस्टेंशिंग का पूरा ध्यान रखते हुए इस अवसर पर मौजूद सभी ने अपने श्रद्धासुमन उन्हें अर्पित किए।
हनुमान वर्मा ने डॉ. भीमराव अंबेडकर से जुड़े संस्मरणों को याद करते हुए बताया कि जब बाबा साहेब वकील के तौर पर अपना मुकदमा लडऩे गए तो न्यायालय में उस दिन वकीलों की बड़ी संख्या में भीड़ जमा थी वह देखना चाहते थे कि एक अछूत वकील जज के सामने कैसे बहस करेगा। बाबा साहब अपना केस लेकर जज के सामने हाजिर होते हैं और वे देखते हैं सभी वकील अपनी अपनी कुर्सी पर बैठे हैं लेकिन उनके लिए कुर्सी खाली नहीं थी। तब उन्होंने जज से पहला सवाल किया कि क्या मैं कुर्सी पर बैठ सकता हूं। तो जज ने कहा कि आप कुर्सी पर बैठने का अधिकार नहीं रखते हैं क्योंकि उस समय तक अछूतों वह पिछड़ों शूद्रों को कोई अधिकार नहीं था। तब बाबा साहब ने सवाल किया कि क्या मैं जमीन पर बैठ सकता हूं यह मेरा अधिकार है। तब जज ने कहा आप जमीन पर बैठने का अधिकार रखते हैं यह तुम्हारी है। तब बाबा साहब ने कहा कि तो फिर मेरी जमीन पर से आप अपनी कुर्सी हटा लीजिए। तब वकीलों ने तथा जज ने बाबा साहब के लिए कुर्सी मंगवाई तथा माफी भी मांगी। इसी तरह से बाबा साहब ने अपनी कुर्सी की पहली लड़ाई जीती। इसके बाद उन्होंने इस केस की जबरदस्त पैरवी की और अपने मुवक्किल को निर्दोष साबित करते हुए न्यायालय से बरी भी करवाया। बाबा साहब जैसा काबिल वकील विश्व में शायद ही दूसरा कोई और होगा। उन्होंने अनुसूचित जाति व पिछड़े वर्ग को शिक्षित व अपने अधिकारों के प्रति जागरुक होने पर उन्होंने विशेष बल दिया। उन्होंने कहा भी था कि शिक्षा शेरनी का वो दूध है जो पियेगा वो दहाड़ेगा।
वर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा लॉकडाऊन के दौरान दीप जलाने की पहल के बाद इसी परीपाटी को आगे बढ़ाते हुए बाबा साहब की जयंती पर भी दीपक जलाए जाएंगे। इस अवसर पर सरपंच जगदीश इन्दल, सामाजिक कार्यकर्ता बजरंग इंदल, महाराज अनूप, साध्वी रचना, अधिवक्ता पूनम बौद्ध, डा. रामस्वरुप, राजेन्द्र जाखड़, नवीन जाखड़, राजबीर प्रधान, बलवीर शीला, विक्रम वर्मा आदि ने नमन कर डॉ. अंबेडकर को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।