भगवान श्री कृष्ण की पथ प्रदर्शक व मार्गदर्शक के रूप में सार्थकता आज के युग में भी प्रासंगिक - प्रोफेसर समर सिंह

हिसार 12 अगस्त -  चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर कहा कि भगवान श्री कृष्ण द्वारा हरियाणा की पावन भूमि कुरूक्षेत्र पर गीता का उपदेश आज के युग में भी प्रासंगिक है। प्रोफेसर समर सिंह ने आम जनमानस से आह्वान् किया कि वे श्री कृष्ण के बताए उपदेशों को अपने जीवन में भी धारण करें। नवसृजन और जनकल्याण के प्रणेता भगवान श्रीकृष्ण की अनेक छवियां भारतीय जनमानस से जुडी हुई हैं। श्रीकृष्ण जी के जन्मदिवस पर हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें सत्कर्म करने पर बल देना चाहिए। जिस मनुष्य का जीवन सत्कर्म से अच्युत है, वह निर्धन है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हमें जीवन में सर्वश्रेष्ठ कर्मों को करने के लिए प्रेरित करता है। पापियों व आतातायियों के अंत के लिए श्रीकृष्ण ने समय≤ पर सुदर्शन चक्र को धारण करके उनका नाश किया। उनके जीवन से हमें संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। सुदामा के साथ निभाई मित्रता से उनके द्वारा समस्त विश्व को ऊंच-नीच का भेद भुलाकर आपसी भाईचारे का संदेश दिया गया। द्रोपदी चीर हरण के समय मानवमन में समायी मलिनता पर कठोराघात करते हुए महाभारत जैसे भीषण युद्ध में पापियों का नाश करवाया। ऐसे में हमें अपने जीवन के प्रति सजग़ रहकर गीतात्पदेश को धारण करना चाहिए। श्रीकृष्ण एक महानायक के रूप में अवतरित हुए और उन्हौंने कंस का वध कर अपनी माता व पिता को कारावास मुक्त करवाकर अपने पुत्रधर्म का पालन किया। सुरदास जी ने श्रीकृष्ण की बाल क्रीड़ाओं को अपने पदों में उतारा है, जिसके भजन सुनकर मन शांत व प्रसन्न हो जाता है।  प्रोफेसर समर सिंह ने कहा कि हमें श्री कृष्ण के बताए अनुसार कर्म करते हुए अपने पथ पर बढ़ते रहना चाहिए ।