H.A.U में कृषि रसायन एवं उर्वरक में एक वर्षीय डिप्लोमा शुरू होगा

हिसार: 3 जुलाई 2020
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में पहली बार कृषि रसायन एवं उर्वरक में एक वर्षीय डिप्लोमा शुरू किया जाएगा जो युवाओं को स्वावलंबी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह कोर्स कुलपति प्रोफेसर के.पी.सिंह की युवाओं के प्रति दूरदर्शी सोच के परिणामस्वरूप व प्रयासों से शुरू  किया जा रहा है। कुलपति प्रोफेसर के.पी. सिंह के प्रयासों से विश्वविद्यालय में इस तरह के कई कोर्स पहले भी शुरू किए जा चुके हैं जो किसानों, युवाओं, महिलाओं व आम लोगों को स्वावलंबी बनाने में काफी उपयोगी साबित हो रहे हैं।
30 सीटों पर होगा दाखिला
पहली बार शुरू होने वाले इस एक वर्षीय डिप्लोमा में कुल 30 सीट निर्धारित की गई हैं, जिसमें से अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए 20 प्रतिशत, पिछड़ी जाति के उम्मीदवारों के लिए 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत सीटों का निर्धारण किया गया है। उन्होंने बताया कि आवदेन के लिए उम्मीदवार का 12वीं पास होना जरूरी है और 18 से 55 वर्ष तक की आयु वर्ग के इच्छूक उम्मीदवार इसमें आवेदन कर सकते हैं। कोर्स संंबंधी फीस, दाखिला प्रक्रिया व अन्य जानकारियों को उम्मीदवार विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.hau.ac.in से प्राप्त कर सकते हैं।
पहली बार कोर्स शुरू
कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस.के. सहरावत ने बताया कि इस कोर्स में दाखिला कृषि महाविद्यालय हिसार, कृषि महाविद्यालय कौल(कैथल) व कृषि महाविद्यालय बावल (रेवाड़ी)  के लिए अलग-अलग होंगे व उनकी कक्षाएं भी अलग-अलग लगाई जाएंगी। उन्होंने बताया कि दो सेमेस्टर वाले इस डिप्लोमा में दाखिला 12वीं कक्षा में प्राप्त अंकों और संबंधित क्षेत्र में अनुभव के 80 : 20 के अनुपात मेें किया जाएगा। इसके लिए कम से कम छह महीने और अधिकतम दो वर्ष का अनुभव ही मान्य होगा।
बहुत की लाभप्रद होगा कोर्स
कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस.के. सहरावत ने बताया कि यह डिप्लोमा उन अभ्यार्थियों के लिए बहुत ही फायदेमंद होगा जिनको कृषि रसायन और उर्वरक संबंधी कृषि की आधारभूत जानकारी नहीं है। यह डिप्लोमा कृषि रसायन और उर्वरक संबंधी कृषि में उपयोग के लिए विस्तार कार्यकर्ता, एग्री इनपुट डीलर और अन्य तकनीकी योग्यता को बढ़ाने में सहायक होगा। इस कोर्स को करने के बाद डिप्लोमाधारक किसान समुदाय की कृषि में कृषि रसायन और उर्वरक संबंधी उपयोग के लिए बेहतर ढंग से सहायता कर सकेंगे।