गुरु पूजन व गुरु पूर्णिमा महोत्सव पर नहीं होगा ग्रहण का कोई असर
हिसार 3 जुलाई : दिव्या वैदिक ज्योतिष संस्थान के अध्यक्ष डॉ. बलजीत शास्त्री ने बताया कि 5 जुलाई गुरु पूर्णिमा की रात्रि में चन्द्र ग्रहण नहीं होगा यह केवल उपच्छाया ग्रहण होगा। उपच्छाया ग्रहण वास्तव में चन्द्र ग्रहण नहीं होता प्रत्येक चन्द्रग्रहण के घटित होने से पूर्व चन्द्रमा पृथ्वी की छाया में अवश्य प्रवेश करता है जिसे चन्द्र मालिन्य अथवा अंग्रेजी में पेनुम्बरा कहा जाता है। उसके बाद ही वह पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है तभी उसे वास्तविक चन्द्र ग्रहण कहा जाता है। डॉ. बलजीत शास्त्री ने बताया कि ध्यान रहे कई बार पूर्णिमा को चन्द्रमा उपच्छाया में प्रवेश कर उपच्छाया शंकु से ही बाहर निकल जाता है। इस उपच्छाया के समय चन्द्रमा केवल कुछ धुंधला पड़ता है यह पूर्ण काला नहीं होता। धर्मशास्त्रकारों ने इस प्रकार के उप-ग्रहणों (उपच्छाया) में चन्द्र बिम्ब पर छाया आने के कारण उन्हें ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा। यही घटना इसी गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई की रात्रि में होगी जब चन्द्रमा उपछाया में प्रवेश कर उपच्छाया शंकु से ही बाहर निकल जाएगा। इस उपच्छाया ग्रहण के सूतक स्नान आदि महात्मय का विचार भी नहीं होगा। प्रत्येक चंद्रग्रहण घटित होने से पहले तथा बाद में भी चंद्रमा को पृथ्वी की इस उपच्छाया में से गुजरना पड़ता है जिसे ग्रहण की संज्ञा नहीं दी जा सकती।
डॉ. बलजीत शास्त्री ने बताया कि गुरु पूर्णिमा की रात्रि को होने वाला यह उपच्छाया चंद्रग्रहण भारत में दृष्टिगोचर नहीं होगा। यह उपच्छाया चन्द्रग्रहण यूरोपीय देशों तथा अफ्रीकी देशों, प्रशांत महासागर, एटलांटिक तथा हिंद महासागर में प्रभावित रहेगा।
डॉ. बलजीत शास्त्री ने बताया कि इस बार पूर्णिमा व्रत व गुरु (व्यास) पूजा पर इस उपच्छाया ग्रहण का कोई असर नहीं होगा इसे पूर्व की भांति विधि विधान से करें और कोरोना महामारी के चलते सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखते हुए गुरु पूजा करें व गुरु पूर्णिमा महोत्सव को मनाएं।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष श्रावण मास भी विशेष शुभ रहेगा क्योंकि श्रावण मास का प्रारंभ सोमवार से शुरू होकर करके सोमवार को ही इसका समापन होगा। इसलिए इस मास में सोमेश्वर महादेव का ध्यान करते हुए रुद्राभिषेक एवं शिव पूजन वैदिक पद्धति से करें जो हर प्रकार से मंगलकारी रहेगा और जन कल्याण के लिए कोरोना महामारी से मुक्ति हेतु भगवान शिव से प्रार्थना करें। इस श्रावण मास में जन्म कुण्डली में छाया आदि दोष दूर करने के लिए गऊ सेवा सर्व कल्याणकारी रहेगी।