संत कबीर की शिक्षाओं को अपनाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्घांजलि होगी : राज्यमंत्री श्रम-रोजगार राज्यमंत्री अनूप धानक ने संत कबीर दास की जयंती पर अर्पित किए श्रद्घासुमन

हिसार, 5 जून।
पुरातत्व-संग्रहालय एवं श्रम-रोजगार राज्यमंत्री अनूप धानक ने कहा कि संत कबीर दास 15वीं सदी के महान कवि व सच्चे संत थे। निरक्षर होते हुए भी उन्होंने समाज को जो शिक्षा दी उनके मद्देनजर यदि उन्हें भगवान भी कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं व उपदेशों को जीवन में अपनाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्घांजलि होगी।
राज्यमंत्री अनूप धानक ने यह बात आज संत कबीर शिक्षा समिति द्वारा संत कबीर जयंती पर आयोजित एक सादे कार्यक्रम में उनकी प्रतिमा के समक्ष पुष्प अर्पित करते हुए कही। संत कबीर को श्रद्घांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि भक्तिकाल के उस दौर में संत कबीरदास ने अपना संपूर्ण जीवन समाज सुधार में लगा दिया था। वे केवल एक ही ईश्वर को मानते थे और अंधविश्वास व पाखंड के सख्त खिलाफ थे। समाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास और सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना करते हुए उन्होंने एक अलख जगाई थी। उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए हमें भी आडंबरों से बचकर रहना चाहिए और समाज में शिक्षा की अलख जगानी चाहिए। अपने बच्चों के साथ-साथ समाज के गरीब व जरूरतमंद बच्चों को शिक्षित करने के लिए भी हम सबको अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। यही संत कबीर के प्रति हमारी सच्ची श्रद्घांजलि होगी।
राज्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के कारण इस बार संत कबीर जयंती पर बड़ा कार्यक्रम नहीं किया गया है बल्कि संत कबीर दास जी को श्रद्घांजलि देने व स्मरण करने के लिए यह सामान्य कार्यक्रम किया गया है। उन्होंने संस्था द्वारा किए जा रहे समाज भलाई के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि मैं व्यक्तिगत रूप से संस्था के विकास में कमी नहीं रहने दूंगा। उन्होंने कहा कि मेरे पिताजी ने भी अपना जीवन इस संस्था को समर्पित कर दिया और मैं भी लगाई गई जिम्मेदारी को समर्पण भाव से निभाऊंगा।
संस्था के प्रधान रोशनलाल ने संस्था द्वारा करवाए जा रहे कार्यों के संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि जो अभिभावक अपने बच्चों की पढ़ाई का खर्च नहीं उठा सकते उनकी पढ़ाई का खर्च संस्था द्वारा वहन किया जाएगा। वर्तमान में भी लगभग 100 विद्यार्थी संस्था के हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संत कबीर ने समाज को जो रास्ता दिखाया वह आज भी प्रासंगिक है।
इस दौरान संस्था के पूर्व प्रधान जोगीराम खुंडिया, रतन बडग़ुज्जर, ओड समाज के प्रधान राजेश मुढाई, तारा सिंह तुरकिया, पार्षद डॉ. उमेद खन्ना, कैप्टन तुलाराम, अतर सिंह सुरलिया, सुुंदर सिंह नागर, मा. पवन खनगवाल, महाबीर, मोलूराम नागर, सूरजभान खनगवाल, जोगिंद्र पटवारी, वजीर मोठ, जयबीर मंगाली, साधुराम खुंडिया, सतीश सुरलिया, इंद्रावती, रतन निनानिया, महेंद्र सिवान व मा. रामकुमार आदि भी उपस्थित थे।