हरियाणवी संस्कृति व लेखन को समर्पित : डॉ० सुमन कादयान

हिसार -  इस समय हरियाणा के कई साहित्यकार हरियाणवी कला संस्कृति एवं लोक साहित्य के विकास में लगे हुए हैं। कुछ महिला लेखक भी बेहतर कार्य कर रही हैं। महिला लेखकों में डॉ. सुमन कादयान का नाम आदर से लिया जा सकता है। डॉ. सुमन को जहां भी उचित माहौल मिलता है वहीं बड़ी-बूढ़ी औरतों से, बहुओं से, लोकगीत, लोकोक्तियां, मुहावरे, लोक कथाएं जुटा लेती हैं। रोहतक अपने पड़ोस में, बेरी अपने ससुराल में महिलाओं से और हिसार अपने निवास के आसपास एकत्रित हुई औरतों से या अन्य जगहों से जहां भी जाती हैं लोक साहित्य संग्रह कर लेती हैं। डॉ. सुमन की अब तक 'हरियाणा के संस्कार गीतÓ, 'हरियाणा की सांस्कृतिक विरासतÓ तथा 'देवी शंकर प्रभाकर  बहुमुखी प्रतिभा के धनीÓ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। शीघ्र ही दो पुस्तकें और प्रकाशन की तैयारी है। पुस्तक 'हरियाणा के संस्कार गीतÓ में महिलाओं द्वारा हमारे संस्कारों के मौके पर गाए जाने वाले गीत संग्रह हैं तो 'हरियाणा की सांस्कृतिक विरासतÓ में हरियाणा की सांस्कृतिक सम्पदा, तीज-त्यौहार, कला एवं संस्कृति से सम्बन्ध्ति आलेख हैं। 'देवी शंकर प्रभाकर: बहुमुखी प्रतिभा के ध्नीÓ पुस्तक हरियाणवी पिफल्म निर्माता, प्रसिद लोक साहित्यकार देवीशंकर प्रभाकर के कृतित्व व व्यक्तित्व पर केन्द्रित है। डॉ. सुमन कादयान के देश के प्रमुख पत्रा पत्रिकाओं में अब तक करीब दो सौ आलेख एवं शोध् पत्रा छप चुके हैं। आकाशवाणी केन्द्रों रोहतक एवं कुरूक्षेत्रा से कई दर्जन वार्तां प्रसारित हो चुकी हैं। बेहतर कार्य के लिए ये देवीशंकर प्रभाकर अवार्ड, पंजाब कला साहित्य अकादमी पंजाब से विशेष अकादमी सम्मान, निराला कला साहित्य संस्थान, बस्ती ;उत्तर प्रदेशद्ध से 'राष्ट्रीय साहित्य गौरवÓ सम्मान, विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर  बिहार द्वारा 'साहित्य शिरोमणिÓ सम्मान के साथ-साथ अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित हो चुकी हैं।   फ ोटोग्रापफ ी में हरियाणा लोक सम्पर्क विभाग तथा उच्चतर शिक्षा विभाग, हरियाणा द्वारा भी सम्मान पा चुकी हैं।  इसके अलावा डा, सुमन रानी लक्ष्मी बाई सम्मान तथा कवित्रिलोचन को सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।
 
हिसार के बरावाला रोड स्थित ओम स्टरर्लिंग ग्लोबल यूनिवस्ट्री में सहायक प्रोफेसर (हिंदी) पद पर कार्यरत तथा मारबाल लिटी निवासी डॉ. सुमन को लम्बी यात्राएं करना एवं फ ोटोग्रापफ ी  करना अच्छा लगता है। अमरनाथ यात्रा, मणिमहेश की दुर्गम यात्रा, श्रीनगर व आसपास के खास पर्यटन स्थलों, महाकुम्भ मेलों सहित देश के कई सांस्कृतिक मेलों का आनन्द ये उठा चुकी हैं। इनका कहना है कि घुमक्कड़ी में भरपूर आनन्द मिलता है। यात्राओं से यात्राी को बहुत कुछ देखने, समझने को मिलता है। तरह-तरह के प्राकृतिक स्थल, वेश-भूषा, विभिन्न संस्कृतियों से परिचय होता है। इनका मानना है कि समय निकाल कर हमें यात्राएं अवश्य करनी चाहिए। हरियाणवी संस्कृति के बारे में इनका मानना है कि हरियाणवी संस्कृति बड़ी समृ( व प्रभावशाली है। हरियाणवी जन जीवन में कदम-कदम पर हास्य इतना है, शायद ही किसी दूसरे राज्य में हो। इनका मानना है कि यहां का हास्य सारा तनाव भगाने में अहं भूमिका निभाता है। डॉ० सुमन को प्रकृति से बेहद लगाव है। यात्राओं के दौरान पहाड़ों का सौन्दर्य, वादियों का आकर्षक, बर्पफ से परिपूर्ण ग्लेशियर, भयंकर गति से बहती नदियां, खूबसूरत झरनों को देखकर इनका मन झूम उठता है। डॉ. सुमन हिन्दी से एम.ए. व पी.एच.डी. हैं। अपने समय के चर्चित शिक्षाविद् रामधरी सिंह खोखर की बेटी सुमन की आरम्भिक शिक्षा जाट स्कूल, रोहतक पिफर महिला महाविद्यालय से स्नातक तथा आगे की पढ़ाई कुरूक्षेत्रा विश्वविद्यालय, कुरूक्षेत्रा से हुई। ये हेलना कौशिक महिला महाविद्यालय, मलसीसर झुंझनू में हिन्दी की सहायक प्रोपेफसर के पद पर कार्यरत थी। घर से अधिक दूर और दूसरा राज्य होने के कारण नौकरी छोड़ दी। इन्हें इस बात का दु:ख है कि अभी तक हरियाणा में नौकरी
नहीं मिल सकी है। साहित्य के बारे में इनका मानना है कि साहित्य हमें सही रास्ता दिखाता है। श्रेष्ठ साहित्य आत्मविश्वास बढ़ाता है तथा तनावमुक्त बनाता है। इसलिए हमें पढऩे की आदत डालनी चाहिये। लोक साहित्य में रूचि कैसे पैदा हुई इस बारे में इन्होंने बताया कि वैसे तो लोक साहित्य व संस्कृति में मेरी बचपन से ही रूचि थी, किन्तु शादी के बाद मेरे पति साहित्यकार डॉ. ओमप्रकाश कादयान का साहित्य एवं लोक संस्कृति के प्रति समर्पण भाव देखकर मुझे उचित माहौल मिल गया। उन्हें देखकर पफोटोग्रापफी में भी रूचि जागृत हुई।