फसल अवशेष किसानों के लिए सोना, मशीनों से करें उचित प्रबंधन : प्रोफेसर समर सिंह

एचएयू में फसल अवशेषों के उचित प्रबंधन में मशीनरी व अन्य तकनीकों की भूमिका विषय पर वेबिनार में वैज्ञानिकों ने दिए सुझाव
हिसार :  30 अक्तूबर
फसलों के अवशेष किसानों के लिए एक प्रकार से सोना है। इसे जलाने की बजाय किसानों को आधुनिक मशीनों का प्रयोग कर उनका उचित प्रबंधन करना चाहिए। इससे पर्यावरण प्रदुषण पर भी नियंत्रण हो सकेगा और मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी। ये विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने कहे। वे विश्वविद्यालय में ऑनलाइन माध्यम से ‘फसल अवशेषों के उचित प्रबंधन में मशीनरी व अन्य तकनीकों की भूमिका’ विषय पर आयोजित वेबिनार को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। वेबिनार का आयोजन विश्वविद्यालय के कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के फार्म मशीनरी एवं पावर इंजीनियरिंग विभाग की ओर से किया गया। इस वेबिनार के संयोजक कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ. आर.के. झोरड़ जबकि सह-आयोजक डॉ. मुकेश जैन रहे। फार्म मशीनरी एवं पावर इंजीनियरिंग विभाग की अध्यक्षा डॉ. विजया रानी ने सभी का स्वागत करते हुए वेबिनार के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने कहा कि मौजूदा समय में किसान धान की पराली व अन्य फसल अवशेषों को खेत में ही जला देते हैं जिससे पर्यावरण प्रदूषण के साथ-साथ भूमि की उर्वरा शक्ति पर भी विपरीत असर पड़ रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार फसल अवशेषों के उचित प्रबंधन हेतू किसानों को जागरूक करने के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। किसानों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि जब फसल को कंबाइन से कटवाए तो उसमें सुपर मैनेजमेंट सिस्टम लगा हुआ होना चाहिए ताकि फसल अवशेष को पूरे खेत में फैलाया जा सके। इसलिए किसान जीरो टिलेज तकनीक अपनाते हुए हैप्पी सीडर से खेत में अवशेष होने के बावजूद बिजाई करेें।
अवशेषों के उचित प्रबंधन से बढ़ा सकते हैं आमदनी
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. बी.आर. कंबोज ने कहा कि किसान फसल अवशेषों को मशीनों की सहायता से जमीन में मिला दें ताकि इससे जमीन की उर्वरा शक्ति में बढ़ोतरी हो सके और पर्यावरण प्रदूषण भी न हो। उन्होंने कहा कि इसे एक सामाजिक आंदोलन का रूप देते हुए सभी को व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेनी होगी तभी जाकर यह अभियान सफल होगा। कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ. आर.के. झोरड़ ने बताया कि फसल अवशेषों के प्रबंधन से आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करते हुए बायोगैस, बायोचार, बिजली उत्पादन, कागज उद्योग आदि में इसका प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार फसल अवशेषों का विभिन्न तरीके से प्रबंधन कर किसान मुनाफा कमा सकते हैं और अपनी आमदनी में बढ़ोतरी कर सकते हैं।
इन्होंने भी बताए प्रबंधन के उचित तरीके
वेबिनार के दौरान विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के अलावा हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास प्राधिकरण (हरेड़ा), कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि अभियांत्रिकी विभाग सहित कई विशेषज्ञों व प्रगतिशील किसानों ने फसल अवशेषों के उचित प्रबंधन और उसके विभिन्न उपयोगों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। वेबिनार में एचएयू के कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिक, कृषि विभाग के उप-निदेशक, एसडीओ, सहायक कृषि अभियंता सहित अन्य अधिकारी शामिल हुए।