कम लागत में अधिक मुनाफा देता है मशरूम : प्रोफेसर समर सिंह

मशरूम विषय पर तीन दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण सम्पन्न
हिसार : 14 सितम्बर
बागवानी में विविधीकरण के रूप मेंं मशरूम एक ऐसा व्यवसाय है जो कम पैसे से शुरू किया जा सकता है और सफल होने पर मशरूम उत्पादन को किसी भी स्तर पर बढ़ाया जा सकता हैं। ये विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार व एमएचयू, करनाल के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने कहे। वे एमएचयू करनाल के क्षेत्रीय खुम्ब अनुसंधान केन्द्र मुरथल की ओर से राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के तहत आयोजित तीन दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण शिविर के समापन अवसर पर प्रतिभागियों को बतौर मुख्यातिथि ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे। प्रशिक्षण खुम्ब उत्पादन, प्रोसेसिंग व विपणन को लेकर आयोजित किया गया। प्रोफेसर समर सिंह ने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रतिभागी अधिक से अधिक लाभ उठाएं और अपनी समस्याओं का समाधान भी वैज्ञानिकों से प्राप्त करें। साथ ही मशरूम के उत्पादन, विपणन व भंडारण बारे में भी अधिक से अधिक जानकारी हासिल कर अपना स्वरोजगार स्थापित करें। एमएचयू के कुलसचिव डा. अजय सिंह ने कुलपति का स्वागत किया और प्रशिक्षण के प्रतिभागियों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षण हासिल करने पर बधाई दी।
मशरूम को टेबल फूड बनाने की जरूरत
प्रोफेसर समर सिंह ने कहा कि मशरूम खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है व पोषण से भरपूर है। इसलिए मौजूदा समय में मशरूम को एक टेबल फूड बनाने की जरूरत है, ताकि घर-घर तक इसका उपयोग हो सके। इसके अनेक प्रकार के व्यंजन व इसको परिक्षित भी किया जा सकता है। हमारे देश में अभी इसका उपयोग प्रति व्यक्ति बहुत ही कम है, जबकि नीदरलैंड व चीन में इसका उपयोग बहुत ज्यादा है। उन्होंने प्रतिभागियों से आह्वान किया कि वे वर्तमान समय में विकसित नई प्रजातियों की जानकारी हासिल कर इस क्षेत्र में व्यवसाय स्थापित करें।
फसल अवशेष का करें उचित प्रबंधन
एमएचयू के विस्तार शिक्षा निदेशक डा. विजय अरोड़ा ने फसल अवशेष का उचित प्रबंध करने की आवश्यकता पर विशेष बल दिया। पराली को न जलाकर इसका उपयोग मशरूम के लिए कम्पोस्ट बनाने में उपयोग किया जा सकता है। इससे वातावरण दूषित नहीं होगा, मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी, मिट्टी में सूक्ष्म जीवी नष्ट नही होगें। पराली न जलाने के लिए इसे एक सामाजिक अभियान के रूप में ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े सभी वर्गों को इसमें योगदान देना होगा।
देशभर से 87 प्रतिभागी हुए शामिल
एमएचयू के अनुसंधान निदेशक डा. रमेश गोयल ने बताया कि इस प्रशिक्षण शिविर में देशभर से 87 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें पंजाब, हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विद्यार्थी, युवा, किसान एवं उद्यमी शामिल थे। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मशरूम अनुसंधान निदेशालय, सोलन के वरिष्ठ वैज्ञानिकों डॉ. वी.पी. शर्मा, डॉ. श्वेत कमल, डॉ. सुधीर, डॉ. अनुपम, एनआईएफटीईमए, सोनीपत के वैज्ञानिक डॉ. अनुराग, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के उपनिदेशक डॉ. सुरेंद्र सिंह व पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के वैज्ञानिक डॉ. शिवानी ने मशरूम से जुड़े विभिन्न विषयों पर अपने व्याख्यानों से प्रतिभागियों को अवगत करवाया व मशरूम के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। इसके अलावा प्रतिभागियों को मशरूम उद्योग, उसके उत्पादन, नई तकनीक, नई प्रजातियों, मशरूम फार्म डिजाइन आदि के बारे में बेहतरीन ढंग से जानकारी मुहैया करवाई। साथ ही प्रशिक्षण मेें वैज्ञानिकों ने प्रतिभागियों के साथ प्रशिक्षण संबंधी उनके अनुभवों को लेकर विचार-विमर्श भी किया।