सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों की श्रेणी में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय को देशभर में मिला तीसरा स्थान

हिसार : 19 अगस्त
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार की उपलब्धियों में अब एक ओर नई उपलब्धि जुड़ गई है। विश्वविद्यालय नेे मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से जारी अटल रैंकिंग ऑफ इंस्टीट्यूशन्स ऑन इनोवेशन एंड एचीवमेंटस (्रक्रढ्ढढ्ढ्र) में कृषि विश्वविद्यालयों में देशभर में प्रथम स्थान हासिल किया है। सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों के सभी विश्वविद्यालयों की श्रेणी में देशभर में तीसरा स्थान मिला है। विश्वविद्यालय की यह उपलब्धि कुलपति प्रोफेसर समर सिंह के कुशल नेतृत्व, दूरगामी व सकारात्मक सोच और टीम भावना का ही परिणाम है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने इस उपलब्धि के लिए विश्वविद्यालय परिवार को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की उपलब्धियां निरंतर विश्वविद्यालय को उन्नति के पथ पर अग्रसर करेंगी और विश्वविद्यालय को ओर अधिक मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित करेंगी। रैंक बैंड भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की ओर से उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की अध्यक्षता में जारी किया गया।
इसी वर्ष गृह विज्ञान महाविद्यालय को मिला था प्रदेश में प्रथम स्थान
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने बताया कि इसी वर्ष केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वर्ष 2020 के लिए जारी नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फे्रमवर्क (हृढ्ढक्रस्न) में विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान महाविद्यालय को देशभर में 49वां स्थान जबकि प्रदेश में पहला स्थान मिला था। खास बात यह थी कि पहली बार कृषि विश्वविद्यालयों में से एक मात्र गृह विज्ञान महाविद्यालय हिसार को इस सूची में शामिल किया गया था।
ये निर्धारित किए गए थे मापदंड
अटल रैंकिंग ऑफ इंस्टीट्यूशन्स ऑन इनोवेशन एंड एचीवमेंटस (्रक्रढ्ढढ्ढ्र) की विश्वविद्यालय की नोडल अधिकारी डॉ. सीमा रानी ने बताया कि इस रैंकिंग प्रणाली का नाम भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है जिसका मुख्य उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों में  नवोन्मेष को बढ़ावा देने के लिए ही इस प्रणाली को शुरू किया गया है जिसमें कई सूचकों के आधार पर शिक्षण संस्थाओं को रैंकिंग दी जाती है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय को मिली इस रैंकिंग के लिए भारत सरकार द्वारा जो मापदंड निर्धारित किए गए हैं उनमें बौद्धिक संपदा अधिकार, इनोवेशन, स्टार्ट-अप तथा उद्यमिता के कार्यक्रम व गतिविधियां, आई एंड ई को स्पोर्ट करने के लिए प्री-इनक्यूबेशन एंड इनक्यूबेशन ढांचा तथा सुविधाओं के 7.5-7.5 प्रतिशत तथा आई एंड ई गतिविधियों को स्पोर्ट करने तथा उनको प्रोत्साहित करने पर खर्च किए गए वार्षिक बजट के लिए 13 प्रतिशत अंक निर्धारित किए गए थे। इनोवशन, बौद्धिक संपदा अधिकार, शोध तथा उद्यमिता कोर्सेज के लिए  पांच  प्रतिशत, बौद्धिक संपदा, तकनीक हस्तांतरण तथा वाणिज्य करण के लिए 32 प्रतिशत व सफल इनोवशन स्टार्ट-अपस के लिए 35 प्रतिशत अंक निर्धारित किए गए थे। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय की ओर से इस रैंकिंग के लिए 2019 में आवेदन किया था। इस साल 674 उच्च शिक्षा संस्थानों ने रैंकिंग के लिए आवेदन किया था।
निर्धारित मापदंडों को पूरा करने में अहम् योगदान
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय लगातार राज्य सरकार, केंद्र सरकार व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से निर्धारित मापदंडों को पूरा करते हुए आगे बढ़ रहा है। विश्वविद्यालय में स्थापित एबिक सेंटर उत्तर भारत का पहला और भारतवर्ष का दूसरा केंद्र है जो इनोवेशन, स्टार्ट-अपस व उद्यमिता को बढ़ावा दे रहा है। इसी प्रकार विश्वविद्यालय में स्थापित दीन दयाल उपाध्याय जैविक खेती उत्कृष्टता केंद्र, अनुसंधान फार्म सहित कई अन्य केंद्र इसी कड़ी में महत्वपूर्ण भूमिक निभा रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह विश्वविद्यालय भारत में कृषि अनुसंधान में अग्रणी है और 1960 और 70 के दशक के दौरान भारत में हरित व श्वेत क्रांमि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विश्वविद्यालय का एक बहुत बड़ा परिसर है और पूरे राज्य में इसके कई अनुसंधान केंद्र हैं। इसने 1997 में सर्वश्रेष्ठ संस्थान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पुरस्कार भी जीता है। इस विश्वविद्यालय ने शिक्षण, अनुसंधान और विस्तार में प्रमुख भूमिका निभाते हुए भारतीय मूल के राष्ट्रीय स्तर के 50,000 से अधिक स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों और अंतरराष्ट्रीय मूल के 6,000 से अधिक छात्र यहां से शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं।  यहां से शिक्षित छात्र शिक्षाविदों, प्रशासन, कॉर्पोरेट जगत, उद्योग और व्यापक समुदाय जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए विश्वविद्यालय की एक संपति के रूप में कार्य कर रहे हैं और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा में अहम् योगदान दे रहे हैं।