नई किस्मों के प्रमाणित बीज तैयार करें वैज्ञानिक : कुलपति प्रोफेसर समर सिंह

हिसार : 1 अगस्त 2020
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने कृषि वैज्ञानिकों से कहा कि वे रबी व खरीफ मौसम के लिए फसलों के गुणवत्ता युक्त अधिक उत्पादन हेतु नई किस्म के बीज तैयार करें। प्रोफेसर समर सिंह ने यह आह्वान विश्वविद्यालय के डायरेक्टर फार्म व रामधन सिंह सीड फार्म सहित विभिन्न क्षेत्रों का दौरा करते हुए वैज्ञानिकों से किया। गौरतलब है कि कुलपति प्रोफेसर समर सिंह विश्वविद्यालय में चल रहे विभिन्न कार्यों का लगातार बारीकी से जायजा ले रहे हैं और उनको लेकर अधिकारियों को उनके निर्धारित समय में पूरा करने के लिए दिशा-निर्देशित कर रहे हैं। प्रोफेसर समर सिंह ने इस दौरान सभी उपस्थित अधिकारियों को निर्देश दिया कि कोविड-19 महामारी के चलते उपलब्ध बजट सही तरीके से उपयोग करते हुए खर्चों पर नियंत्रण की कोशिश की जानी चाहिए। डायरेक्टर फार्म के अवलोकन के दौरान उन्होंने फार्म निदेशक डॉ. एस.के. धनखड़ को दिशा-निर्देश देते हुए कहा कि वे इस फार्म को एक मॉडल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए ताकि किसानों को इसका अधिक से अधिक लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि फार्म की उपलब्ध भूमि का समुचित उपयोग किया जाना चाहिए और बची हुई भूमि में अन्य कृषि फसलों को बोया जाना चाहिए ताकि सभी उपलब्ध संसाधनों का उचित उपयोग हो सके। उन्होंने कहा कि रबी व खरीफ मौसम में फसल चक्र को अपनाना चाहिए जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है। रामधन सिंह सीड फार्म के दौरे के दौरान उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों को किसान हितैषी अनुसंधान पर अधिक ध्यान देने की सलाह दी। सीड फार्म के निदेशक डॉ. के.डी.शर्मा से विश्वविद्यालय में आधुनिक तकनीकों से बीज तैयार करने सहित कृषि वैज्ञानिकों से उच्च क्वालिटी के प्रोजेक्ट लाने व उनसे अधिकाधिक लाभ उठाने को लेकर प्रेरित किया। साथ ही उत्पादों की सही पैकेजिंग, मार्केटिंग, ग्रेडिंग व बागवानी भंडारण पर भी जोर दिया।
374 हेक्टेयर में फैला है डायरेक्टर फार्म
डायरेक्टर फार्म के निदेशक डॉ. एस.के. धनखड़ ने कुलपति प्रोफेसर समर सिंह को बताया कि यह फार्म 374 हैक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है जिसमें मौजूदा समय में खरीफ ऋतु में 73 हैक्टेयर में ग्वार, 58 हैक्टेयर में मूंग, 12 हैक्टेयर में कपास व 1 हैक्टेयर में ज्वार की नई किस्म एच.जे. 541 का बीज उत्पादन् किया हुआ है। इसके साथ 20 हैक्टेयर में ढैंचे का बीज उत्पादन् किया हुआ है जिसे फसल चक्र के अनुसार बोया जाता है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा 120 हैक्टेयर में ढैंचे को हरी खाद के लिए बोया जाता है।
फार्म पर लगेगा नया बीज प्रसंसकरण संयंत्र
फार्म के निदेशक ने प्रोफेसर समर सिंह को बताया कि जल्द ही फार्म पर नया बीज प्रसंसकरण संयत्र इसी सत्र में स्थापित किया जाने की संभावना है। इसके अलावा फार्म पर सीसीटीवी कैमरा भी लगवाने की योजना है। प्रोफेसर समर सिंह ने कहा कि फार्म पर प्रिसीजन फार्मिंग का मॉडल तैयार कर किसानों को जागरूक करने की आवश्यकता है। इसके लिए आधुनिक ड्रोन तकनीक व रोबोटिक्स को बढ़ावा देना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने फार्म पर मशीनीकरण को बढ़ावा देने व विभिन्न फसलों से जुड़े खरपतवारों के उचित प्रबन्धन की सलाह दी। उन्होंने कहा कि खरपतवारनाशी का अत्यधिक प्रयोग फसल उत्पादन की लागत को बढ़ा देता है, इसलिए सही प्रबंधन से ही इसका प्रयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने कपास की फसल की तरह ग्वार की फसल की भी बिजाई करने की सलाह दी ताकि निराई-गुड़ाई करने में आसानी हो और इसके लिए ‘व्हील हैंड हो’  द्वारा निराई-गुड़ाई की जा सके। प्रोफेसर समर सिंह ने कृषि वैज्ञानिकों को बताया कि उन्होंने स्वयं गन्ने की खेती में पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 से 90 और 90 से 120 सैंटीमीटर करवाकर खरपतवारनाशी का स्प्रे करवाया है जिससे खरपतवारों का उचित नियन्त्रण संभव हो सका है।
उचित जल-प्रबंधन के लिए दिए आदेश
कुलपति महोदय ने विश्वविद्याल के फार्म क्षेत्र का दौरा करते हुए उचित जल-प्रबंधन के लिए सिंचाई के खाले इत्यादि की मरम्मत करवाने की व्यवस्था करवाने के लिए भी निर्देशित किया। अपने विश्वविद्यालय के भ्रमण के दौरान उन्होंने फार्म में स्थापित आधुनिक स्वदेशी बीज बैंक का भी निरीक्षण किया और बीज बैंक के इंचार्ज डॉ. सोमवीर सांगवान से इसकी विस्तृत जानकारी हासिल की। उन्होंने प्रोफेसर समर सिंह को इस बारे में बताया कि आनुवांशिकी व पौध प्रजनन विभाग के अधीन इस बीज बैंक की स्थापना की गई है तथा बदलते जलवायु के अनुसार भविष्य में पौध प्रजनन हेतु लगभग 20 फसलों के 1800 से अधिक जर्मप्लास्म एकत्र किए हैं और इन्हे मध्यम अवधि के लिए लगभग 4 डिग्री सेल्सियस तापमान पर स्टोर किया गया है।  इसके बाद कपास सेक्शन का दौरा कर पता किया कि 25 एकड़ में देसी कपास पर शोध कार्य जारी है। एक एकड़ में ड्रिप सिंचाई प्रणाली द्वारा भी कपास पर शोध कार्य चल रहा है। इस दौरान उनके साथ अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत, रामधन सिंह सीड फार्म के निदेशक डॉ. के.डी.शर्मा, एसवीसी श्याम सुंदर शर्मा सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।