H.A.U की फल छेदक मशीन को मिला पेटेंट

वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि के लिए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने की सराहना, विश्वविद्यालय के लिए बताई गौरव की बात
हिसार : 31 अगस्त 2020
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ओर उपलब्धि को विश्वविद्यालय के नाम किया है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा वर्ष 2009 में अविष्कार की गई फल छेदक मशीन  को अब भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय की ओर से पेटेंट मिल गया है। विश्वविद्यालय के कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. आर.के. झोरड़ ने बताया कि इस मशीन का अविष्कार महाविद्यालय के प्रसंस्करण एवं खाद्य अभियांत्रिकी विभाग के प्रोफेसर मुकेश गर्ग व छात्र दिनेश मलिक की अगुवाई में किया गया। उन्होंने बताया कि इस मशीन के लिए वर्ष 2009 में पेटेंट के लिए आवेदन किया था, जिसके लिए अब भारत सरकार की ओर से इसका प्रमाण-पत्र मिल गया है।
इसलिए विकसित हुई मशीन
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत अनुसार फलों में आंवला बहुत ही पौष्टिक फल है जिसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसमें प्रोटीन व कई खनिज मिश्रण जैसे कैल्सियम, फास्फोरस और लौह अयस्क पाया जाता है। औषधीय दवाई बनाने में इसका बहुत ही ज्यादा इस्तेमाल होता है और पौष्टिक होने के कारण सालभर इसकी डिमांड रहती है। लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि केवल अक्टूबर से जनवरी के बीच में ही फल तैयार होने के कारण इसकी सालभर उपलब्धता नहीं हो पाती थी। इसके अलावा सीजन में बाजार में भरमार होने से अधिक मुनाफा भी नहीं मिल पाता। सालभर उपलब्धता, अधिक मुनाफा व इसकी पौष्टकता बरकरार रखना बहुत ही जरूरी था। इसके लिए आंवले का मुरब्बा ही सबसे बेहतर तरीका है। आंवले का मुरब्बा बनाने से पहले उसमें छेद करनी की प्रक्रिया बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि बिना छेद आंवले का मुरब्बा नहीं बना सकते।
अब समय, पैसे व लेबर की होगी बचत
विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रवि गुप्ता के अनुसार पहले सारा काम हाथों से होता था, जिसमें प्रत्येक फल को सुइयों द्वारा छेद किया जाता था, जिसमें अधिक समय लगता था और मजबूरों की संख्या ज्यादा होने के कारण शुद्घता भी नहीं होती थी। काम करते समय मजदूरों के हाथों में सूई भी चुभ जाती थी। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा अविष्कार की गई जिस मशीन का पेटेंट मिला है उसकी प्रतिघंटा 80 किलोग्राम तक फलों में छेद करने की क्षमता है। इस मशीन को बीस साल की अवधि के लिए पेटेंट मिला है।
विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात
कुलपति महोदय प्रोफेसर समर सिंह ने वैज्ञानिकों के इस अविष्कार को भारत सरकार द्वारा पेटेंट दिए जाने पर बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय के लिए बहुत ही गौरव की बात है। उन्होने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से भविष्य में भी इसी प्रकार निरंतर प्रयासरत रहने की अपील की है ताकि विश्वविद्यालय का नाम यूं ही रोशन होता रहे।